कोपेनहेगन। भारत ने पहली बार औपचारिक रूप से स्पष्ट कर दिया है कि वह
जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों के रुख के साथ है।
पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने बुधवार को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त
राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को संबोधित
करते हुए कहा कि समान उत्तरदायित्व के साथ ही ऐतिहासिक उत्तरदायित्व का
सिद्धांत भी उतना ही स्वीकार्य होना चाहिए।
रमेश के बयान के बाद विकासशील देशों के उन प्रतिनिधियों में भरोसा जगा
है जो सोच रहे थे कि कहीं भारत उनसे अलग रुख न अख्तियार कर ले। विकासशील
देश चाहते है कि वर्तमान मसौदे से अलग हटकर उनके हितों को भी ध्यान में
रखते हुए कोई भी समझौता किया जाए। इसी वजह से इस शिखर बैठक में कई विकसित
देशों के साथ उनके मतभेद कई बार सामने आए।
रमेश ने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती के बारे में भारत की
प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के
मामले में हम विकसित देशों से आगे कभी नहीं जाएंगे। हम स्वयं इस समस्या से
निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।