जयपुर, जागरण संवाद केंद्र : नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गठन के
लिए सात लाख के अंशदान के आदेश जारी होने के साथ ही प्रदेश में नई ग्राम
सेवा सहकारी समितियों के गठन एवं पुनर्गठन की राह प्रशस्त हो गई है।
सहकारिता मंत्री परसादी लाल मीणा ने बताया कि पूर्व में 15 लाख रुपए की
हिस्सा राशि प्रावधान के कारण नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गठन एवं
पुनर्गठन का कार्य नहीं हो पा रहा था। मीणा ने बताया कि पिछले दिनों राज्य
मंत्री मण्डल के चिंतन शिविर में नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गठन
में हिस्सा राशि अधिक होने से आ रही परेशानी पर विचार विमर्श कर 15 लाख से
घटाकर सात लाख रुपए का निर्णय किया गया था जिसके क्रम में मंत्री मण्डल की
आज्ञा के अनुसार रजिस्ट्रार मुकेश शर्मा ने संशोधित आदेश जारी कर दिए हैं।
सहकारिता मंत्री परसादी लाल मीणा ने बताया कि राज्य में लगभग 30 साल बाद
नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन हो सकेगा। अंतिम बार 1977 में ग्राम
सेवा सहकारी समितियों एवं लेंप्स का पुनर्गठन हुआ था और पिछले नई समितियों
के गठन की घोषणा के बावजूद पिछले एक साल से समितियों के गठन 15 लाख की
हिस्सा राशि बाधा बनी हुई थी। उन्होंने बताया कि नई ग्राम सेवा सहकारी
समितियों के गठन के निर्णय से प्रदेश के लाखों काश्तकारों लाभान्वित हो
सकेंगे। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार मुकेश शर्मा ने बताया कि राज्य में
नौ हजार से अधिक ग्राम पंचायतें हैं वहीं 5200 से कुछ ही अधिक ग्राम सेवा
सहकारी समिति एवं लेंप्स होने से काश्तकारों को फसली सहकारी ऋण व खाद-बीज
आदि प्राप्त करने में असुविधा का सामना करना पड़ता था। कई ग्राम सेवा
सहकारी समितियों और लेम्प्स का कार्यक्षेत्र 20-20 किलोमीटर तक होने से
दूरदराज के गांव के किसान सहकारी सुविधाओं से वंचित रह जाते थे।
एक हजार में मंत्री मंडल आज्ञा से रोक हटाने के बाद भी समितियों का
पुनर्गठन या नई समितियों का गठन हो सकता था और इस कारण से इस आदेश पर भी
91 में वापस रोक लगा दी थी। इसके बाद अक्टूबर,08 में मंत्रिमंडलीय आज्ञा
से रोक हटाने के बावजूद हिस्सा राशि का प्रावधान व्यावहारिक नहीं होने से
समितियों का गठन नहीं हो पा रहा था।