केंद्र का सबसे बड़ा अभियान

नई दिल्ली. कई महीनों तक चुपचाप तैयारी करने के बाद सरकार ने
नक्सलियों के खिलाफ अपना अभी तक का सबसे बड़ा अभियान छेड़ दिया है।
सूत्रों के अनुसार फिलहाल यह अभियान छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तक सीमित
रहेगा। दोनों राज्यों में तीन अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ, बीएसएफ और
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 45 हजार जवान भेजे गए हैं।


बाद में इससे भी ज्यादा आक्रामक और बेहतर समन्वय वाला अभियान झारखंड और उड़ीसा में छेड़ा जाएगा।


झारखंड में विधानसभा चुनाव के कारण यह फैसला किया गया। अर्धसैनिक बलों के
सूत्रों ने बताया कि वैसे तो केंद्रीय गृह मंत्रालय, विशेषकर गृह मंत्री
पी. चिदंबरम नक्सलियों से बातचीत चाहते हैं और उनसे हथियार छोड़ने की अपील
कर रहे हैं, लेकिन सुरक्षा बलों को कार्रवाई के लिए आगे बढ़ा दिया गया है।
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में गुरुवार को
पुलिस सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि संयुक्त नक्सली अभियान शुरू
हो चुका है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गढ़चिरौली में सीआरपीएफ के 3000
जवानों को तैनात किया गया है। छत्तीसगढ़ के गांवों में भी सीआरपीएफ,
आईटीबीपी और बीएसएफ के जवानों ने रणनीतिक मोर्चा संभाल लिया है।
राजनांदगांव के मानपुर समेत कुछ इलाकों में जंगल वार में प्रशिक्षित
आईटीबीपी के जवान पहुंच चुके हैं। उनको पूरे इलाके की जानकारी दी जा रही
है। बीएसएफ को कांकेर जिले में भेजा जाएगा।

आईपीएस अफसरों की तैनाती अनिवार्य : महाराष्ट्र सरकार ने
नवनियुक्त आईपीएस अधिकारियों की नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनाती
अनिवार्य कर दी है। साढ़े पांच साल की इस तैनाती के दौरान ये अफसर ढाई साल
नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले और बाकी के तीन साल विदर्भ क्षेत्र में
गुजारेंगे। राज्य सरकार ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया है,
जिसमें कहा गया है कि पुलिस अफसरों के रिकार्ड की छानबीन के दौरान इस बात
का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि उन्होंने नक्सल प्रभावित किन इलाकों में
कितना समय गुजारा है।

जंगलों में भेजकर किया जाएगा सफाया

सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के सबसे ज्यादा 37 हजार
जवान तैनात किए जा रहे हैं। शुरुआत में 25 हजार जवान भेजे गए। बाद में
कश्मीर से 12 हजार जवानों को हटाकर विशेष ट्रेनिंग देकर राज्य में भेजा
गया है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मूल योजना यह होगी कि
बलों को जंगलों में भेजकर वहां से नक्सलियों का सफाया किया जाएगा और
बारूदी सुरंगें हटाई जाएंगी। अधिकारी के मुताबिक, ‘हमें मजबूती से डटे
रहना होगा और राज्य पुलिस व अर्धसैनिक बलों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत
होगी।’

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