सासाराम जिले के आर्थिक प्रगति का नया स्रोत पत्थर उद्योग पुलिस के लिए
गंभीर चुनौती बन गया है। पत्थर खनन क्षेत्र में विस्फोटकों की लगातार
बरामदगी से लोग इसे डेंजर जोन मानने लगे हैं। उग्रवादियों के बढ़ते प्रभाव
के बीच इन विस्फोटकों का मिलना शुभ संकेत नहीं है।
शनिवार को खनन क्षेत्र से जुड़े मजदूरों की बस्ती बढ़इयाबाग में बरामद
सामग्रियों के मामले की कमान संभाले एएसपी रंजीत कुमार मिश्रा बताते हैं,
क्षेत्र में विस्फोटक बिक्री का लाइसेंस सूर्यदेव तिवारी, कृष्णकांत सिंह
व भगवान शर्मा के ही पास है। विस्फोटक अनुज्ञप्तिधारियों का स्टाक सत्यापन
किया गया है। सत्यापन के दौरान सभी के स्टाक सही पाये गये। अहम सवाल है कि
उनके स्टाक सही हैं तो यह इतनी भारी तादात में विस्फोटक आये कहां से, और
उन्हें लेने वाले कौन थे? नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि
भारी मात्रा में मैंगजीन से बाहर विस्फोटक मिलने के पीछे कहीं ना कहीं
लाइसेंसधारियों की ही संलिप्ता है।
खदान और उसके आसपास अनहोनी घटनाओं की लंबी फेहरिस्त है। सिर्फ नवंबर
में खदान क्षेत्र में पांच लोगों की मौत हो चुकी है। दो की हत्या अवैध खनन
को ले कर दी गयी थी। तीन पत्थर मजदूर थे। मजदूरों की खदान क्षेत्रों में
हो रही अस्वाभाविक मौतें पत्थर खनन क्षेत्र में चर्चा की केंद्र बिंदु बनी
हुई हैं। मजदूरों की मौत के पीछे पत्थर तोड़ने के लिए लगायी जाने वाली
बारूदी सुरंगों के बेमौके विस्फोट व असुरक्षित खदान क्षेत्रों में
ट्रैक्टर पलटने से जुड़े माने जाते हैं। उस पर पर्दा डालने के भरपूर प्रयास
के तहत पुलिस भी खदान वालों के पक्षधर बनी मिलती है। एसपी विकास वैभव ने
खनन क्षेत्र में घट रही अनहोनी पर चिंता जताते हुए कहा कि पुलिस पूरे
प्रसंग को संवेदनशील बनकर देख रही है। किसी भी हाल में दोषियों को बख्शा
नहीं जायेगा।