नोएडा। हिंडन नदी मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद से गुजरते हुए गौतमबुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा के पास तीलवाड़ा गाव से एक किलोमीटर आगे यमुना में समा जाती है। इसमें उद्योगों का केमिकल कचरा गिरने से इसका पानी जहर बन चुका है। इतना ही नदी में ऑक्सीजन की मात्रा शून्य के बराबर हो जाने से मछलियों और जीव जंतुओं का अस्तित्व भी समाप्त हो चुका है।
यमुना की सहायक नदी हिंडन के किनारे लगे पेपर मिल, शुगर मिल, डिस्टलरी व केमिकल प्लाट सहित छोटे-बड़े लगभग दो हजार उद्योगों का केमिकल युक्त पानी बिना ट्रीट किए हुए हिंडन में डाला जा रहा है। इससे पानी में आयरन, लेड, मरकरी, सायनाइड और क्रोमियम की मात्रा काफी बढ़ गई है। इसका भू-जल तक जहरीला हो रहा है। प्रदूषण बोर्ड कई बार लोगों को इसमें जहरीला पानी न डालने की नसीहत दे चुका है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी पारसनाथ भी महीने में दो बार इसकी मानीटरिंग करते हैं। उन्होंने माना कि अब हिंडन में पानी की मात्रा आधी से भी कम रह गई है।
तरुण भारत संघ व राष्ट्रीय जल बिरादरी बागपत के सर्वेक्षण के अनुसार हिंडन किनारे बसे गौतमबुद्ध नगर के कई गावों का जल इतना जहरीला हो चुका है कि छिजारसी, चोटपुर और सफीपुर के लोग त्वचा रोगों से पीड़ित हो रहे हैं। हिंडन में डिमाड ऑफ ऑक्सीजन [डीओ] की मात्रा एक मिलीग्राम प्रतिलीटर से भी कम रह गई है। दस से कम रहने वाली बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमाड [बीओडी] की मात्रा बीस मिलीग्राम प्रतिलीटर हो गई है।
कार्बन आक्साइड डिमाड [सीओडी] 64 मिलीग्राम प्रतिलीटर तक पहुंच गई है। जबकि शुद्ध नदी में यह न के बराबर होनी चाहिए। पिछले साल उत्तर प्रदेश जल निगम के सर्वेक्षण के मुताबिक हिंडन में डेढ़ मिलियन क्यूसेक पानी था लेकिन इस साल यह कम होकर आधे तक पहुंच गया है।
यमुना नदी की सफाई का काम शुरू करने के लिए दिल्ली सरकार को केंद्र की मंजूरी का इंतजार है। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बुधवार को कहा कि नालों का पानी सीधे यमुना में मिलने से रोकने के लिए उनके एक प्रस्ताव पर केंद्र की मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है।
भारतीय उद्योग परिसंघ [सीआईआई] द्वारा जल प्रबंधन पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में शीला दीक्षित ने कहा कि इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड ने इस परियोजना के लिए व्यापक अध्ययन किया है। इसमें तीन बड़ी नहरों का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि गटर का पानी सीधे नदी में नहीं गिरे। मुख्यमंत्री के अनुसार केंद्र से समय से मंजूरी मिली तो अगले वर्ष से इस परियोजना पर काम शुरू किया जा सकता है।