गन्ना मूल्य को लेकर किसानों का भारी प्रदर्शन

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा घोषित नई गन्ना मूल्य नीति के विरोध में गुरुवार को हजारों किसानों ने राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन किया। इस मौके पर किसानों को संबोधित करते हुए जद यू के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि सरकार जब तक इससे संबंधित अध्यादेश को वापस नहीं लेगी तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और संसद को नहीं चलने दिया जाएगा।

इससे पहले हाथों में गन्ना लिए और नारे लगाते हुए हजारों की संख्या में किसान राजधानी के रामलीला मैदान से रैली के रूप में जंतर-मंतर पहुंचे। रैली में राष्ट्रीय लोक दल [रालोद], भारतीय किसान यूनियन [टिकैत] और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के कार्यकर्ता भी शामिल हुए।

रैली में माकपा नेता बासुदेव आचार्य, रालोद अध्यक्ष अजित सिंह, भाकपा के डी. राजा व गुरुदास दास गुप्ता और सपा नेता अमर सिंह भी मौजूद थे।

किसानों के आंदोलन के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने लोगों को सलाह दी है कि वे केंद्रीय दिल्ली से दूर रहे।

शरद यादव ने कहा कि यह अकेले गन्ना किसानों की लड़ाई नहीं है बल्कि यह सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लड़ाई है। उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ रही है, लेकिन किसानों की चीजें सस्ती दरों पर खरीदी जा रही है। पिछले 62 वर्षो में किसी भी सरकार ने किसानों के साथ ऐसा अन्यान नहीं किया जैसा वर्तमान केंद्र सरकार कर रही है।

केंद्र सरकार ने फेयर एंड रिम्युनेरेटिव प्राइस [एफआरपी] के तहत 2009-10 के लिए प्रति क्विंटल गन्ने का मूल्य 129.85 रुपये घोषित किया है, जबकि उत्तर प्रदेश में राज्य सलाहकार मूल्य [एसएपी] प्रति क्विंटल 165 से 170 रुपये तय किया गया है।

यदि राज्य सरकार एसएपी को एफआरपी से अधिक रखती है तो ऐसी स्थिति में मूल्य में जितना अंतर होगा उसका भुगतान सरकार को अपने खाते से करना होगा। हालांकि इसके लिए सरकार को बाध्य नहीं किया जा सकता। किसानों की मांग है कि उनके उत्पाद के लिए प्रति क्विंटल 280 रुपये का भुगतान किया जाए।

राजधानी में किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले राष्ट्रीय लोक दल के अजीत सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती पूरी तरह से डीजल पर निर्भर है और डीजल का मूल्य आसमान छू रहा है। ऐसे परिदृश्य में यदि किसानों को अपने उत्पाद के लिए उचित मूल्य नहीं मिलता है तो उनका विरोध पूरी तरह से न्यायोचित है।

उन्होंने कहा कि देश में चीनी के कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत हिस्सा केवल उत्तर प्रदेश से आता है।

एक अन्य किसान ने कहा, हम अंत तक अपने अधिकारों के लिए लड़ेगे। यदि हमें अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता है तो हम दिल्ली में अनाज नहीं आने देंगे और प्रदेश में दूध, सब्जियां और अनाज लेकर आने वाली सभी गाड़ियों को रोक देंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *