आजीविका के लिए हर्बल शराब बनाएं आदिवासी

मुंबई। महाराष्ट्र के जनजातीय विकास मंत्री बबनराव पाचपुते ने आदिवासियों को आजीविका के स्रोत के लिए मोहा के फूलों से ‘हर्बल शराब’ बनाने का सुझाव दिया है।

पाचपुते का सुझाव, शराब के बढ़ते मामलों के कारण लोगों को इससे दूर रखने के राज्य सरकार के प्रयासों की पृष्ठभूमि में आया है। मंत्री ने कहा कि अभी आदिवासियों और निर्माताओं के साथ प्राथमिक स्तर पर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा ‘हम इस बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं कि इसे कैसे कार्यान्वित किया जा सकता है।’

इस विचार के तहत आदिवासियों को जालियां मुहैया कराई जाएंगी, उन्हें मोहा [बेसिया लेटिफोलिया] के फूल एकत्र करने तथा हर्बल शराब की बिक्री की सुविधा दी जाएगी। मोहा या महुआ के फूलों और पेड़ से शराब और इसके फल से तेल निकलता है।

महाराष्ट्र में मोहा के करीब 3.45 करोड़ पेड़ हैं जिनसे लगभग 50,000 टन फूल और 20,000 टन बीज का उत्पादन हो सकता है। पिछले माह तक पाचपुते वन मंत्री थे और हर्बल शराब बनाने की योजना पर काम कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मोहा के करीब एक कि.ग्रा फूलों से 350 मिली लीटर शराब बनाई जा सकती है। इसे पानी मिला कर तनु करने के बाद शराब की 750 मिली लीटर वाली मानक बोतल में भरा जा सकता है।

बहरहाल, विपक्ष के विरोध के कारण यह विचार धरा रह गया। शिवसेना के प्रवक्ता नीलम गोरहे ने बताया कि पाचपुते को आदिवासियों के कल्याण के लिए दूसरे उपाय करने चाहिए। आदिवासियों के लिए शिक्षा हासिल करना और कुपोषण पर रोक सर्वाधिक जरुरी है। राकांपा के वरिष्ठ नेता पाचपुते यह विचार पेश करने वाले एकमात्र मंत्री नहीं हैं।

वर्ष 2004 में आबकारी मंत्री गणेश नाइक ने भी कहा था कि शराब की अवैध बिक्री करने वालों को देशी शराब की दुकानों का लाइसेंस देने से शराब की अवैध बिक्री पर रोक लगाई जा सकेगी। नाइक भी शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा से थे।

 

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