संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने परंपरागत ज्ञान के संरक्षण के लिए भारत की भूमिका की सराहना करते हुए कहा है कि विभिन्न भाषाओं में देश का हजारों फार्मूलों का डेटाबेस विकासशील दुनिया के लिए एक उदाहरण है।
यूनाइटेड नेशन्स वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन [डब्ल्यूआईपीओ] के निदेशक फ्रांसिस गरी ने हाल ही में भारत का पांच दिवसीय दौरा संपन्न किया है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूआईपीओ की इंटरगवमर्ेंटल कमेटी ऑन इंटलेच्च्युअल प्रॉपर्टी का नया फैसला ठोस परिणाम हासिल करने का एक वास्तविक अवसर है।
गरी ने परंपरागत ज्ञान, अनुवांशिक संसाधनों और लोक साहित्य में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान भी किया।
गरी के अनुसार, भारत की सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध परंपरागत ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी [टीकेडीएल] में विभिन्न भाषाओं में हजारों फार्मूलों का डेटाबेस है।
गरी ने परंपरागत ज्ञान तथा आनुवांशिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए कानून और भारतीय औषध प्रणाली की पहल की भी सराहना की जिसमें परंपरागत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और औषधियों का समावेश है।
डब्ल्यूआईपीओ के निदेशक ने यह भी कहा कि बौद्धिक संपदा व्यवस्था जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उनके अनुसार, बौद्धिक संपदा में ऐसी नीतियां जरूर मिल जाएंगी जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के कारगर तरीके से सीधा संबंध रखने वाली प्रौद्योगिकी से जुड़ी हैं।
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूआईपीओ ने क्षमता निर्माण में और वर्तमान प्रौद्योगिकियों की पहचान तथा उनके कानूनी दर्जे के लिए सकारात्मक योगदान दिया है।
गरी ने 13 नवंबर को भारत से यहां आने के बाद कहा, डब्ल्यूआईपीओ महत्वपूर्ण योगदान के तहत व्यापक सहमति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि बौद्धिक संपदा जलवायु परिवर्तन के कारण आसन्न चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकियां तैयार करने में मददगार साबित हो।
उनकी यात्रा के दौरान भारत और संयुक्त राष्ट्र के बीच एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए जिसके तहत विभिन्न संगठनों और गतिविधियों के माध्यम से द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत किया जाएगा।