तब तो स्वावलंबी हो जाएंगे ग्राम

देहरादून। सूबाई सरकार की अटल आदर्श ग्राम योजना की परिकल्पना यदि साकार हुई तो उत्तराखंड के ये गांव स्वावलंबी हो जाएंगे। पहले चरण में न्याय पंचायत मुख्यालय के 670 गांवों को 31 मार्च 2011 तक संतृप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

इस अटल आदर्श ग्राम योजना के अंगर्तत चयनित गांव में प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी, एएनएम केंद्र, विद्युतीकरण, निर्बल वर्ग आवास, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता कार्यक्रम, सड़क मार्ग, बालिका माध्यमिक विद्यालय, ग्रामीण हाट, कृषि निवेश भंडार, बैंक शाखा, इंटरनेट क्योस्क, सरकारी सस्ता गल्ला दुकान, पशु सेवा केंद्र, गोसदन, चारा बैंक, बस स्टाप, यात्री सुविधा केंद्र, खाद्य भंडारण सुविधा, उद्यान सचल इकाई की सुविधा, सामुदायिक भवन, दुग्ध संग्रहण एवं विपणन केंद्र आवश्यक रूप से स्थापित होंगे। ग्राम की भौगोलिक एवं आर्थिक संभावनानुसार कुछ क्रियाकलाप वैकल्पिक होंगे। इनमें घराट एवं अन्य वैकल्पिक ऊर्जा कार्यक्रम, पर्यटक ग्राम योजना, आयुष ग्राम योजना, मत्स्य पालन, औद्यानिक एवं दुग्ध उत्पादों के संदर्भ में प्रसंस्करण केंद्र, उच्चीकृत औद्यानिक नर्सरी, वन पंचायत भूमि में सर्वऋतु चारा प्रजाति रोपण, वन निगम संग्रहण केंद्र, पैरावेट सेवा केंद्र और शॉपिंग काम्पलेक्स के लिए उपयुक्त भूमि का आरक्षण एवं विकास। इस योजना के अंतर्गत माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना, वैकल्पिक ऊर्जा संयंत्रों एवं गो सदन के अधिष्ठापन के लिए यथा संभव निजी क्षेत्र की सहभागिता ली जाएगी। इसके लिए संबंधित विभाग पृथक से नीति विषयक शासनादेश एक माह के अंतर्गत निर्गत करेगा। कल्पना कीजिए किसी गांव में इतनी सुविधाएं यदि एक साथ मौजूद रहेंगी तो संबंधित ग्राम एक कस्बे का आकार ले लेगा। यदि गांव में इतनी सुविधाएं मौजूद होंगी तो उस स्वावलंबी ग्राम के ग्रामीणों को अपनी आम सुविधाओं के लिए शहर की शरण में जाने की जरूरत भी नहीं होगी। सरकार ने पहले चरण के 670 न्याय पंचायत मुख्यालयों के गांवों को 31 मार्च 2011 तक संतृप्त करने का लक्ष्य रखा है। इन पहले चरण के गांवों की प्रगति ही इस योजना का भविष्य तक करेगी। यदि उपलब्धि उत्साहजनक रही तो अन्य गांव के रास्ते भी खुल जाएंगे।

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