नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने युवा डाक्टरों से अपील की है कि वे अपने चिकित्सकीय जीवन का कुछ समय दूरदराज के क्षेत्रों व ग्रामीण इलाकों में दें, ताकि वहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ लाभ मिल सके। सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित 37वें दीक्षांत समारोह के दौरान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि इससे न केवल डॉक्टरों को राष्ट्रसेवा का सुख मिलेगा बल्कि उन्हें प्रोफेशनल अनुभव भी प्राप्त होगा। इस मौके पर राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं को डिग्री, पदक व पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
राष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में आज डॉक्टरों की भारी कमी है। स्थिति यह है कि 1500 रोगियों पर एक डॉक्टर उपलब्ध है, जबकि इस संबंध में की गई सिफारिशों के अनुसार 250 रोगियों पर एक डॉक्टर होना चाहिए। यह एक गंभीर स्थिति है और अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में डॉक्टरों, नर्सो व चिकित्सा कर्मचारियों की कमी को दूर करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। सरकार द्वारा इस दिशा में अनेक कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें नर्सिग कॉलेज व नर्सिग प्रशिक्षण केंद्र के अलावा एम्स जैसे कई संस्थान खोले जा रहे हैं। पाटिल ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जब से शुरू हुआ है तब से अब तक सात लाख आशा, 70 हजार एएनएमएस व नर्स तथा 15,000 से अधिक एमबीबीएस और आयुष डॉक्टरों को इसमें शामिल किया जा चुका है। आज पूरे देश में मिशन सुचारू रूप से कार्य कर रहा है।
इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार देश में ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने का हरसंभव प्रयास कर रही है और इसके लिए भारतीय चिकित्सा संघ के साथ मिलकर अनेक प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के आधारभूत ढांचे में व्यापक सुधार किए जा रहे हैं ताकि आधुनिक चिकित्सा लाभ उन लोगों को भी मिल सके। इस मौके पर एम्स के डायरेक्टर डॉ. आरसी डेका, डिप्टी डायरेक्टर शैलेश यादव भी उपस्थित थे।