देहरादून। मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अमल को विभागों की रफ्तार बेहद धीमी है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने ऐसे विभागों की तरफ भृकुटी तानी है। काम में ढिलाई बरतने वाले अफसरों की जिम्मेदारी तय की जा रही है।
सत्ता के शीर्ष पर आसीन होने के बाद से मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने अब तक 333 घोषणाएं की हैं। इन पर अमल की रफ्तार काफी धीमी है। प्रमुख सचिव शत्रुघ्न सिंह ने सभी प्रमुख सचिवों तथा सचिवों को लिखे पत्र में घोषणाओं के संबंध में प्रगति सूचनाएं एवं आख्याएं प्रत्येक माह की 15 तारीख तक उपलब्ध न होने पर नाराजगी जताई है। अब तक सूचना न भेजने वाले विभागों को फटकार लगाते हुए एक सप्ताह के अंदर आख्या भेजने के निर्देश दिए गए हैं। विभागीय सचिवों से इस बारे में भी जानकारी मांगी गई है कि राज्य हित में महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील प्रकरणों में मुख्यमंत्री की घोषणाओं को पूरा करने में किस स्तर पर विलंब हो रहा है और इसकी वजह क्या है। सूत्रों के अनुसार तय व्यवस्थाओं के तहत मुख्यमंत्री की घोषणाओं से संबंधित शासनादेश तीन दिन में जारी हो जाने चाहिए और एक माह के अंदर संबंधित विभाग को अग्रेत्तर कार्यवाही सुनिश्चित कर लेनी होती है। मुख्यमंत्री की 333 घोषणाओं के मामले में ऐसा नहीं हो पा रहा है। कुछ घोषणाओं के शासनादेश और टोकन मनी जारी की जा चुकी हैं, उनकी भौतिक प्रगति भी मुख्यमंत्री कार्यालय को उपलब्ध नहीं हो पा रही है। प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ने इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए विभागों से हर स्तर पर प्रयास करने के निर्देश दिए हैं। निदेशालय स्तर पर कार्य की प्रगति के लिए व्यक्तिगत रुचि लेकर गति बढ़ाने को कहा गया है। जिला स्तर पर घोषणाओं को पूरा करने के लिए स्थलीय निरीक्षण को कहा गया है। धीमी प्रगति पर अफसरों की जिम्मेदारी भी तय करने को कहा गया है। घोषणाओं पर धीमी प्रगति का प्रभाव सरकार की छवि पर पड़ सकता है। इसलिए मुख्यमंत्री कार्यालय ने इन मामलों की रोजाना प्रगति रिपोर्ट भी कार्यालय को भेजने को कहा है।
मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर विभागों की सुस्ती कई सवाल उठा रही है। यदि सीएम के मामले में विभागों का यह रुख है तो अन्य सामान्य कार्यो के प्रति क्या होगा, यह सवाल उठ रहा है। दबी जुबान से कई विभागों में आर्थिक संसाधनों के अभाव को भी विलंब का कारण बताया जा रहा है।