यह स्कूल कैसा होता है, अंकल?

कानपुर। काकादेव कब्रिस्तान बस्ती के सामने की सड़क पर पान मसाला बेच रहे आठ वर्षीय बच्चे से पूछा गया, स्कूल जाते हो? उसने उलटा सवाल किया, स्कूल कैसा होता है अंकल? आजादी के 62 साल बाद किसी मासूम का यह सवाल पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर देता है।

शहर में यह अकेला मासूम नहीं है जिसने कभी स्कूल नहीं देखा। रेलवे स्टेशन, बस स्टाप व चौराहों से लेकर गली मोहल्लों में तमाम बच्चे स्कूल जाने की बजाय पान मसाला, पानी के पाउच तथा दूसरी चीजें बेचते हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की हाउस होल्ड सर्वे रिपोर्ट की मानें, तो जनपद में चार हजार से अधिक बच्चे पढ़ने की बजाय घरों में काम करते हैं, कूड़ा बीनते अथवा सड़कों पर बेवजह घूमते रहते हैं। इनमें से 329 बच्चों ने स्कूल का कभी मुंह नहीं देखा। हाउस होल्ड सर्वे रिपोर्ट को अधिकारी भी ज्यादा विश्वसनीय नहीं मानते, क्योंकि इसमें नगर व नगर से जुड़े दस विकास खंडों में स्कूल से बाहर बच्चों की जो संख्या दिखाई गयी है, उससे कहीं अधिक बच्चे शहरी क्षेत्र में ही कामकाज में लगे मिल सकते हैं।

फिर भी रिपोर्ट के आंकड़े सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले को मुंह चिढ़ाने वाले हैं जिसमें 6 से 14 साल के सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने के निर्देश प्रदेश सरकार को दिए गये हैं। रिपोर्ट के मुताबिक विकास खंड कल्यानपुर में 27, भीतरगांव में 103, चौबेपुर में 98, बिधनू में 129, ककवन में 139, बिल्हौर में 276, शिवराजपुर में केवल 3, पतारा में 4, सरसौल में 107, घाटमपुर में 207 व नगर क्षेत्र में 2924 बच्चे स्कूलों से दूर हैं।

सच्चाई यह है कि शहर में अकेले गीता पार्क, किदवई नगर, कोयला नगर, नवाबगंज, काकादेव, लालबंगला, कर्नलगंज, चमनगंज जैसे शहर के 150 क्षेत्रों के छोटे बड़े कूड़ाघरों में सैकड़ों मासूम काम की चीजें खोजते हैं। शहर की 390 मलिन बस्तियों में भी सैकड़ों बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। पतारा ब्लाक में स्कूल न जाने वाले 4 व शिवराजपुर ब्लाक में केवल 3 बच्चों का मिलना भी विश्वसनीय नहीं है। इनमें भी विभाग 179 बच्चों का स्कूलों में नामांकन नहीं करा सका।

विकलांगता बनी अभिशाप

चौंकाने वाला तथ्य यह है कि हाउस होल्ड सर्वे में 137 बच्चे गंभीर विकलांगता के शिकार हैं। ये भी स्कूल नहीं जा रहे। सर्वाधिक 27 बच्चे नगर क्षेत्र में हैं। भीतरगांव व चौबेपुर में 20-20 बच्चे विकलांग निकले। बिधनू में 15, ककवन में 21 बच्चे विकलांगता के कारण स्कूल से दूर हैं।

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