रुड़की (हरिद्वार)। किसान संगठनों को मिल मालिकों पर भरोसा नहीं है। किसान नेताओं का कहना है कि अपनी गरज के लिए मिल मालिक गन्ना पेराई करने को कोई भी रेट देने की हामी भर सकते हैं, लेकिन बाद में वह भुगतान के समय किसान को कायदे-कानून बताकर अधर में छोड़ देंगे।
पिछले कुछ सीजन ऐसे गुजरे कि मिल मालिकों व क्षेत्र के किसानों के संबंधों में खटास उत्पन्न हुई है। हालात यहां तक बन चुके हैं कि किसान मिल मालिकों के किसी भी वादे पर भरोसा करने को तैयार नहीं है। उकिमो के अध्यक्ष चौधरी गुलशन रोड का कहना है कि आज जो किसान मिल मालिकों पर भरोसा नहीं कर रहे हैं, उसके लिए खुद मिल मालिक ही जिम्मेदार हैं। पूर्व में ऐसे कई मामले हो चुके हैं, जिसमें मिल मालिकों ने गन्ने की जरूरत के लिए किसान को दाम बढ़ाकर देने की बात कही, लेकिन जब उसकी जरूरत पूरी हो गई तो किसान को धोखा दिया गया। जैसा कि वर्ष 2007-08 के अंतर मूल्य का भुगतान अभी तक भी किसानों को पूरा नहीं मिल पाया है। इसलिए जब तक गन्ना मूल्य अध्यादेश वापस नहीं होगा, तब तक चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति नहीं की जाएगी। राष्ट्रीय किसान संगम के अध्यक्ष डा.सुशील चौहान का कहना है कि गन्ना मूल्य अध्यादेश पहले वापस लिया जाना जरूरी है। उनका कहना है कि किसान मिल मालिकों के झांसे में नहीं आएगा। जब तक गन्ना मूल्य अध्यादेश वापस नहीं होगा, तब तक किसान मिलों को आपूर्ति नहीं करेंगे। किसान नेता बाबूराम, हरपाल सिंह के अलावा रुड़की गन्ना समिति के चेयरमैन मनोज सैनी ने भी कहा कि पहले गन्ने का मूल्य तय हो, तभी किसान को गन्ना आपूर्ति करने के लिए राजी किया जाए।