पटना। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी बुधवार को सफाई की मुद्रा में थे। उन्होंने कहा-‘केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) के जरिये कोई बटाईदार किसी भी सूरत में जमीन का मालिकाना हक हासिल नहीं कर सकता है। दुनिया की कोई भी ताकत भूमि मालिकों को जमीन से जुदा नहीं कर सकती है। ऐसा कोई कानून है ही नहीं।’ वे संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने भाजपा में अपने खिलाफ भड़के गुस्से पर कोई टिप्पणी नहीं की। इस आशय के तमाम सवालों को वे ‘नो कमेंट’ बोल टालते रहे।
हां, उन्होंने यह जरूर कहा कि ऐसे बेतुके मसले राजग के वोटरों को भ्रमित कर सकते हैं। राजद व लोजपा ने अपने राजनीतिक स्वार्थो की पूर्ति के लिए बटाईदारी के मसले पर अनावश्यक भ्रम फैला रखा है। उनकी तमाम पक्षों से अपील रही कि सतही राजनीति के चक्कर में राज्य में कायम सद्भाव को न बिगाड़ें।
उपमुख्यमंत्री ने कहा-‘प्रदेश की एक करोड़ चार लाख होल्डिंग में 92.5 प्रतिशत लघु व सीमांत किसान हैं। ये बस एक से दो हेक्टेयर जमीन के मालिक हैं। इनकी स्थिति बटाईदार और मजदूरों से भी बदतर है। बिहार क्या, भारत में भी ऐसा कोई कानून नहीं है, जो इनको जमीन के मालिकाना हक से बेदखल कर सके। हमने तो ऐसे किसी कानून के बारे में सपने में भी नहीं सोचा है।’ इसी क्रम में मोदी ने एक प्रसंग का जिक्र किया-‘1967 की मिली-जुली सरकार में कम्युनिस्ट पार्टी के साथ जनसंघ भी था। वामपंथी पार्टियों के दबाव पर बटाईदारी कानून लाने की कोशिश हुई। इसको रोकने के लिए जनसंघ कोटे के मंत्री कैबिनेट की बैठक में ही कम्युनिस्ट मंत्रियों से उलझ गये।’ उन्होंने कई मर्तबा दोहराया-‘बटाईदार कानून के बारे में कोई सुझाव, विचार, पहल या प्रस्ताव नहीं है। किसी को भ्रमित होने की दरकार नहीं है।’
उनके अनुसार केसीसी के बारे में हमने कुछ नहीं किया है। हमने बस नाबार्ड के गाईडलाईन को दोहराया है। यह व्यवस्था 2000 से है। हमें इसमें संशोधन का भी अधिकार नहीं है। केसीसी का भूमि सुधार, वंद्योपाध्याय कमेटी या बटाईदारी कानून से कोई मतलब नहीं है। 9 नवंबर से केसीसी के लिए मेगा शिविर लगने हैं।