गरीबों को मुख्यधारा में लाएगी यूआईडी योजना : नीलकनी

भोपाल. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी यूआईडी (विशिष्ट पहचान संख्या) योजना का पहला नंबर फरवरी 2011 तक जारी हो जाएगा। इस वृहद परियोजना का लाभ उन करोड़ों गरीबों को मिलेगा, जिनकी सरकारी तंत्र में कोई पहचान नहीं है और जो समाज में हाशिए पर हैं। यह कहना है यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के अध्यक्ष पद्मभूषण नंदन नीलकनी का।

एक दिन के भोपाल प्रवास के दौरान दैनिक भास्कर कार्यालय आए नीलकनी ने कहा कि वे अब तक 11 राज्यों में इस योजना पर प्रस्तुतिकरण दे चुके हैं। दैनिक भास्कर के वरिष्ठ संपादकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में नीलकनी ने कहा कि सरकार गरीबों के कल्याण के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती है।इसमें सबसे बड़ी समस्या होती है वास्तविक जरूरतमंद की पहचान करना। तमाम प्रयासों के बावजूद अब भी फर्जी राशन कार्ड, पेन कार्ड और पासपोर्ट पकड़े जा रहे हैं। दूसरी तरफ, आज भी यह स्थिति है कि करोड़ों गरीबों के पास उनकी पहचान का कोई दस्तावेज नहीं है। ऐसे में उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ ठीक से नहीं मिल पाता। नीलकनी ने स्वीकार किया कि घुमंतू जनजातियां व बेघर लोगों को यह नंबर आवंटित करना बड़ी चुनौती है। देश में करीब साढ़े सात करोड़ लोग बेघर हैं। इसके लिए वे समाज के इन वर्गो के बीच कार्य करने वाले एनजीओ की मदद लेंगे। विश्व में अभी तक अमेरिका में अधिकतम 12 करोड़ लोगों को यूआईडी जारी किया गया है। वहीं, देश में 120 करोड़ लोगों को नंबर जारी किया जाना है।

यह एक बड़ी चुनौती है। विश्व में इस तरह का प्रयोग पहली बार हो रहा है। उन्होंने माना कि नक्सलवाद से पीड़ित क्षेत्रों के रहवासियों को यह नंबर आवंटित करना आसान नहीं होगा। नंबर का ऑनलाइन परीक्षण किया जा सकेगा।नीलकनी ने स्पष्ट किया कि यह नंबर नागरिकता की पहचान नहीं होगा। न ही किसी तरह का अधिकार पत्र। यह सिर्फ हर व्यक्ति की पहचान का आसान तरीका होगा। नंबर देश के हर रहवासी को जारी किया जाएगा, न कि हर नागरिक को। यह बात अलग है कि नंबर जारी होने के बाद उस व्यक्ति की पहचान स्पष्ट हो जाएगी।

बायोमेट्रिक पद्धति का उपयोग

यूआईडी नंबर जारी करने के लिए बायोमेट्रिक पद्धति का उपयोग किया जाएगा। फिंगर-प्रिंट आदि बायोमेट्रिक आंकड़े लेने के बाद व्यक्ति को नंबर आवंटित किया जाएगा। पासपोर्ट, पेन कार्ड, राशन कार्ड आदि दस्तावेजों पर भी यह नंबर अंकित होगा। उन्होंने बताया कि देशभर में बैंक, एलआईसी, पासपोर्ट सहित करीब 200 से अधिक संस्थान रजिस्ट्रार के रूप में काम करेंगे, जो यह नंबर आवंटित करेंगे। इंफोसिस के पूर्व सह-संस्थापक नीलकनी ने साफ किया कि कोई कार्ड जारी नहीं किया जाएगा। वे हर व्यक्ति को केवल एक पत्र जारी करेंगे, जिसमें उसका नंबर होगा, इसे उन्हें संभाल कर रखना होगा।मां के फिंगर प्रिंट से बच्चे को यूआईडी

नीलकनी ने कहा कि नवजात बच्चों के अंग पूरी तरह विकसित नहीं होते, इसलिए माताओं के फिंगर-प्रिंट के आधार पर उनका यूआईडी जारी किया जाएगा। अवयस्क बच्चों के साथ माता-पिता के फिंगर-प्रिंट होना जरूरी किया जाएगा। नीलकनी नेबताया कि सरकार ने पहले चरण के लिए 120 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।

 

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