भोपाल। अब प्रदेश का हर पटवारी हाईटेक होगा। उसका अपना ई-मेल एड्रेस होगा जिस पर हर सूचना और दिशा-निर्देश का आदान-प्रदान किया जाएगा। पटवारी से लेकर पीएस तक सीयूजी से जुड़ेंगे। इंटरनेट से निकाली गई खसरा नकल वैध होगी। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए मकानों को राजसात कर लिया जाएगा। विशेष अभियान चलाकर छोटे-मोटे विवाद के मामले निपटाए जाएंगे। सीमांकन में निजी ठेकेदारों की मदद ली जाएगी। राजस्व विभाग को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए इस तरह के तमाम निर्णय लिए जाने की योजना हैं। इस संबंध में शनिवार को राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा के नेतृत्व में प्रशासन अकादमी में बैठक हुई। जिसमें मंथन में आए सुझावों और सिफारिशों पर मंथन किया गया।
बैठक में प्रमुख सचिव राजस्व मदन मोहन उपाध्याय, चार संभागायुक्त, दस कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी, आरआई और डिप्टी कलेक्टर सहित डेढ़ सौ अधिकारी मौजूद थे। करीब नौ घंटे चली बैठक में मंथन में आई तमाम सिफारिशों पर सिलसिलेवार चर्चा की गई। अधिकारियों का मत था कि मंथन में आई साठ फीसदी सिफारिशें ऐसी है जिन्हें लागू करने में कोई भी अतिरिक्त भार नहीं आएगा। इसलिए इन्हें तत्काल लागू कर दिया जाना चाहिए। इनमें पटवारियों का ई-मेल एड्रेस बनाने का सुझाव भी था। जिस पर उन्हें सरकारी परिपत्र भेजे जा सकेंगे। जिससे वे परिपत्र या निर्देश नहीं मिलने का बहाना नहीं कर पाएंगे। प्रमुख सचिव से लेकर पटवारी स्तर तक के 18 हजार अधिकारी सीयूजी से जुड़ेंगे। वे मोबाइल पर एक-दूसरे से मुफ्त में बात कर सकेंगे। जिससे पटवारियों की लोकेशन भी आसानी से मिल सकेगी। सूत्र बताते हैं कि सभी अधिकारियों को सरकारी मोबाइल नंबर मिलेंगे। भविष्य में अधिकारी का तबादला हो जाने पर वहीं नंबर उनकी जगह जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी को सौंपा जाएगा। इससे अधिकारी भले ही बदल जाएं लेकिन मोबाइल नंबर नहीं बदलेगा। जिससे लोगों को दिक्कत नहीं होगी। साथ ही पटवारियों को मुख्यालय स्थित आफिस में रहना अनिवार्य होगा। वे निर्धारित तिथियों में ही गांवों का दौरा करने जाएंगे। यह तिथियां गांवों और सार्वजनिक स्थल पर सूचना पटल पर लिखी जाएंगी ताकि लोगों को पटवारियों की उपस्थिति और दौरों की पूरी जानकारी हो। तहसीलदार और नायब तहसीलदार छोटे-मोटे मामलों, पारिवारिक बटवारे, रास्तों का विवाद, किसानों के नामांतरण, सीमांकन, खसरा-खतौनी और नक्शा प्राप्त करने वाले विवादों को शिविर लगाकर निपटाएंगे। इंटरनेट पर खसरा नकल उपलब्ध होगी, जिसे नेट से लेने पर वैध माना जाएगा। भूमि सीमांकन के काम में निजी ठेकेदारों की मदद ली जाएगी। इन ठेकेदारों को लाइसेंस दिए जाएंगे और सीमांकन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सार्वजनिक और सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमण को अभियान चलाकर हटाया जाएगा। जहां तहसील भवन के लिए कार्यालय नहीं हैं वहां खली पड़े भवन में कार्यालय स्थापित किए जाएंगे। अतिक्रमण की भूमि पर बने हुए मकान राजसात किए जाएंगे। गृह निर्माण समिति को भूमि आवंटन में पारदर्शिता एवं सतर्कता बरती जाएगी। लोगों की समस्याओं का एक ही जगह त्वरित निराकरण के लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय आदि विभागों से जुड़े अधिकारी भी शिविर में मौजूद रहेंगे। भू अर्जन की जो दस फीसदीराशि सरकारी कोष में जमा कराई जाती है वह सरकार को न देकर सीधे कलेक्टरों को दी जाएगी। जिससे वे सीधे खर्च कर अन्य कार्य कर सकेंगे। कार्यालयों में बिजली की दिक्कत होने पर दूसरे इंतजाम करने या अन्य सुविधाओं के लिए इसी रकम का उपयोग किया जाएगा। कुछ अधिकारियों ने बड़ी मात्रा में नायब तहसीलदार और पटवारियों की भर्ती का सुझाव भी दिया। सूत्र बताते हैं कि इस तरह की तमाम सिफारिशों को लागू करने पर अधिकारी सहमत थे। इन सिफारिशों को आगामी 26-27 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में होने वाले मंथन में रखा जाएगा। जहां इन पर मुख्यमंत्री अपनी मोहर लगाएंगे। उनकी स्वीकृति के बाद इन्हें तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया जाएगा।