भिवानी, नौनिहालों को व्यावहारिक जीवन का सबक सिखाने वाले जिला बाल कल्याण विभाग को खुद सहायता की दरकार है। छोटे बच्चों को खेल-खेल में जीवन के सही मायने बताने वाली बाल सेविकाओं और हेल्परों को पिछले एक साल से उनका मेहनताना भी नहीं मिल रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद भी अधिकारियों की मनमानी के आगे अपनी आंखें मूंदे बैठी है। हालत यह है कि बाल सेविकाओं को बच्चों की शैक्षणिक एवं अन्य गतिविधियों में प्रयोग होने वाली सामग्री का खर्च भी उन्हे अपनी जेब से ही उठानी पड़ रही है। जिला बाल कल्याण विभाग के अधिकारी भी अपनी जिम्मेवारी से बचने के लिए इस मामले से किनारा करने में ही लगे है। भिवानी में बाल कल्याण विभाग द्वारा कुल मिलाकर 26 सेंटर चलाए जा रहे है। प्रत्येक सेंटर में एक बाल सेविका और एक हेल्पर नियुक्त है।
बाल सेविका को प्रति माह के मेहनताने के रूप में 1200 रुपये केन्द्र सरकार द्वारा वहन किए जाते है। इसके अलावा हेल्पर को प्रति माह 800 रुपये का मेहनताना मिलता है। इन बाल सेंटरों में प्रत्येक बच्चे के लिए 2 रुपये 08 पैसे का बजट हर दिन के हिसाब से रखा गया है। बाल सेविकाओं का कहना है कि उन्हे नवम्बर 2008 के बाद से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। उनका कहना है कि सेंटर में आने वाले प्रत्येक बच्चे पर प्रतिदिन खर्च होने वाला बजट भी फिलहाल उन्हे अपनी जेब से झेलना पड़ रहा है और जैसे तैसे व्यवस्था को चला रही है। उनके कई माह के बिलों का भुगतान भी नहीं हुआ है। विभागीय सूत्रों पर विश्वास करे तो उनका कहना है कि हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा बजट भेजा जा चुका है, लेकिन अधिकारियों ने इस बजट का उपयोग अन्य कार्यो में कर अब मामले की लीपापोती में जुटे हुए है।
नहीं पहुंची ग्रांट : शास्त्री
जिला बाल कल्याण अधिकारी कमलेश शास्त्री से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बाल सेविकाओं और हेल्परों के वेतन की ग्रांट चण्डीगढ़ से ही नहीं पहुंची है। उन्होंने बताया कि इनके वेतन के लिए चंडीगढ़ से जैसे ही ग्रांट आएगी इनके वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि वेतन का बजट किसी अन्य पर खर्च कर दिया गया है तो उनका जवाब था कि ऐसी कोई बात नहीं है।