कृषि सुरक्षा पर देवभूमि की सतर्क पहल

देहरादून। अगले पांच वर्ष में राज्य में कृषि विकास दर को चार प्रतिशत करने का लक्ष्य है। मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों के खेतों की उर्वर क्षमता में आ रही गिरावट के कारण लक्ष्य हासिल करने को बागवानी व पशुपालन पर अधिक भरोसा जताया जा रहा है। मिश्रित खेती के साथ ही दलहन व तिलहन पर ज्यादा जोर रहेगा। कृषि विकास के पंचवर्षीय राज्य स्तरीय प्लान का होमवर्क पूरा हो गया है और जल्द ही इसे केंद्रीय योजना आयोग को भेज दिया जाएगा।

केंद्रीय योजना आयोग ने देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सभी राज्यों को कृषि विकास दर बढ़ाने के सशर्त निर्देश दिए हैं। जो राज्य विकास दर बढ़ाने में कामयाब होगा, उसे केंद्र से मिलने वाली सुविधाओं में प्रमुखता मिलेगी। फिसड्डी रहने वाले राज्य को इस मामले में नुकसान उठाना पड़ सकता है। उत्तराखंड ने भी कृषि विकास के चार प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना तैयार की है। ग्राम पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक का प्लान तैयार है। केवल इसे फाइनल टच देने की कसरत बाकी है। इसमें पशुपालन, डेरी, कृषि, उद्यान, मत्स्य आदि को भी शामिल किया गया है। कृषि विकास दर के मामले में उत्तराखंड के सामने बड़ी चुनौती है। वर्ष 2004 तक राज्य में कृषि विकास दर दो प्रतिशत के आसपास रही। वर्तमान में यह दो प्रतिशत से कम है। पिछले दस वर्षो में मैदानी व पहाड़ी खेतों की उर्वरकता में कमी आई है। मैदानी क्षेत्रों में रसायनिक खादों से नुकसान पहुंचा है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में पशुओं की कमी के चलते जैविक खाद का मामूली उपयोग हुआ। राज्य में 85 प्रतिशत से अधिक खेती इंद्रदेव के भरोसे हैं। जोतें काफी छोटी हैं। 88 प्रतिशत जोतें एक हेक्टेयर के करीब हैं। ऐसे में असिंचित भूमि, परती भूमि तथा अनुपयोगी भूमि का बेहतर उपयोग ही कृषि विकास दर को बढ़ाने वाला रहेगा। राज्य की चुनौतियों के दृष्टिगत कृषि का पांच वर्ष का स्टेट प्लान राष्ट्रीय ग्राम्य विकास संस्थान के सहयोग से बनाया गया है। प्लान में बागवानी व पशुपालन के विस्तार को अधिक महत्व मिला है। कलस्टर सिस्टम को भी प्रमुखता दी गई है। कांट्रेक्ट फार्मिग की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है। असिंचित क्षेत्रों में दलहन व तिलहन के उत्पादन पर विशेष जोर है। कृषि उत्पादों की मार्केटिंग के लिए भी नई योजना शामिल की गई है। स्टेट प्लान के मसौदे पर विशेषज्ञों के साथ बैठक भी हो चुकी है। स्टेट प्लान का ड्राफ्ट अंतिम चरण में है और जल्द ही इसे स्वीकृति के लिए केंद्रीय योजना आयोग को भेज दिया जाएगा।

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