शिमला : पर्वतीय राज्यों में हो रहे जलवायु परिवर्तन, तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर और इस कारण लोगों के जीवन पर हो रहे दुष्प्रभाव से कैसे निपटा जाए, इस पर मंथन को छह पहाड़ी राज्यों के मुख्यमंत्री शिमला में जुटेंगे। 29 व 30 अक्टूबर को हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के मुख्यमंत्री इस समस्या का समाधान तलाशने का भी प्रयास करेंगे। इससे निपटने के लिए संयुक्त रणनीति भी बनाएंगे। यही नहीं इस सम्मेलन में इन राज्यों के उच्चाधिकारी, पर्यावरण वैज्ञानिक, स्वयंसेवी संस्थाएं और विश्व बैंक तथा केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव सरोजिनी गंजू ठाकुर ने इस आयोजन की पुष्टि की।
जलवायु परिवर्तन से आज न केवल हिमाचल बल्कि पूरा देश प्रभावित हो रहा है। वातावरण में ग्रीन हाऊस गैसों के बढ़ने से जनजीवन पर असर पड़ रहा है। ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार बढ़ रही है। इससे अचानक बाढ़ आने का खतरा भी बन रहा है। कई ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण झीलें भी बन रही हैं और इन झीलों के टूटने का खतरा भी बढ़ रहा है। अगर ये झीलें टूटी तो इसकी जद में आने वाले निचले इलाकों में तबाही मच सकती है। यही नहीं जलवायु परिवर्तन के कारण असमय बारिश व लगातार सूखा भी पड़ने लगा है। हिमाचल भी इससे अछूता नहीं है। पिछले साल जहां लगातार बारिश होती रही, वहीं इस साल सूखे के कारण परेशानी झेलनी पड़ी। इससे कृषि, बागवानी सहित अन्य क्षेत्रों पर भी असर पड़ा। ऐसे में आज ये मुद्दे ज्वलंत हो गए हैं। इनसे कैसे निपटा जाए इस पर मिलकर रणनीति बनाने की जरुरत महसूस की जा रही है।
इसे देखते हुए हिमाचल ने पहल करते हुए पहाड़ी राज्यों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है। इसी प्रयास का नतीजा है कि शिमला में 29 और 30 अक्टूबर को छह राज्यों, हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल और सिक्किम के मुख्यमंत्री जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे नुकसान और इससे निपटने के उपायों पर चर्चा करेंगे। दो दिन से इस सम्मेलन में उक्त राज्यों के उच्चाधिकारी, वैज्ञानिक, विश्व बैंक के प्रतिनिधि, केन्द्र सरकार के अधिकारी व स्वयं सेवी संस्थाएं भी शिरकत करेंगी। इस सम्मेलन को सफल बनाने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव सरोजिनी गंजू ठाकुर, निदेशक पर्यावरण अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं।