कोलकाता। न्यायाधीशों की कमी के कारण कलकत्ता हाईकोर्ट में साढ़े तीन लाख मामले लंबित पड़े हैं। सूत्रों के मुताबिक न्यायाधीशों के 40 पद रिक्त पड़े हैं। हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की अनुमोदित संख्या 58 है जबकि इस समय महज 18 कार्यरत हैं। हाईकोर्ट बार एसोसियेशन के अध्यक्ष सरदार अमजद अली के मुताबिक केन्द्र व राज्य सरकार का कई बार इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया गया लेकिन उनकी तरफ से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। न्यायाधीशों की कमी का अदालत की कार्यवाही पर व्यापक असर पड़ रहा है। आपराधिक मामलों की भी समय पर सुनवाई नहीं हो पा रही। वेस्ट बंगाल बार काउंसिल की कार्यकारी कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि
राज्य सरकार ने इस साल सितम्बर तक रिक्त पदों को भरने का आश्वासन दिया था लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया है। उधर राज्य विधि विभाग के मुताबिक निचली अदालतों में रिक्त अधिकांश पदों पर दिसम्बर तक नियुक्ति कर दी जायेगी। न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। गौरतलब है कि बंगाल की 202 सबआर्डिनेट अदालतों में भी न्यायाधीशों की कमी है। वहां लंबित मामलों की संख्या साढ़े पन्द्रह लाख को पार कर गई है। सूत्रों ने बताया कि दो साल पहले अदालत प्रशासन की तरफ से न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए आठ एडवोकेट के नाम की सिफारिश की गई थी। लगभग उसी समय विधि विभाग ने भी उच्च न्यायिक सेवा के पांच उम्मीदवारों को हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने का सुझाव दिया था। उन पांचों की नियुक्ति हो गई लेकिन आठ एडवोकेट में से अब तक केवल एक की न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति हुई है।