सतलुज निगम के निजीकरण का रास्ता साफ

शिमला. केंद्र सरकार ने संयुक्त उपक्रम सतलुज जल विद्युत निगम की हिस्सेदारी में कैंची चलाकर निगम के निजीकरण का रास्ता साफ कर दिया है। केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 75 फीसदी से घटकर 65 फीसदी रह जाएगी। यूपीए सरकार के विनिवेश एजेंडा के तहत आर्थिक मामले की मंत्रिमंडल समिति ने इक्विटी विनिवेश को मंजूरी दी है।

शिमला स्थित निगम के मुख्यालय में कार्यरत कर्मचारियों में निजीकरण शुरूआत को लेकर चिंता हो गई है। संभावना है कि केंद्र सरकार ने निगम के अगले साल आने वाले पब्लिक इश्यू के लिए निर्णय लिया है और 10 फीसदी मूल्य का पब्लिक इश्यू निकाला जाएगा। संयुक्त उपक्रम के तहत एशिया की सबसे बड़ी 1500 मैगावाट नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना का मुनाफा साल दर साल बढ़ता जा रहा है।

विनिवेश के बाद सतलुज निगम में केंद्र की हिस्सेदारी घटकर 65 फीसदी रह जाएगी। प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी 25 फीसदी यथावत रहेगी। इस समय कनगम की भुगतान इक्विटी पूंजी 4108.81 करोड़ रुपए है। केंद्र व राज्य सरकार की निगम में 75:25 के अनुपात में हिस्सेदारी है।

कर्मचारियों में चिंता

कंेद्र के विनिवेश प्रक्रिया शुरू करने से सतलुज निगम निजीकरण की राह पर चल पड़ा है। इससे पूर्व कंेद्र एनटीपीसी और दूसरे पॉवर निगमों का भी विनिवेश कर चुकी है। सतलुज निगम कर्मियों को केंद्र के इस निर्णय से चिंता होने लगी है कि सरकारी नौकरी नहीं रहेगी। कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं।

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