चुनार के खेतों में जम रहा है सीमेंट

चुनार। इस क्षेत्र के आसपास किसानों की जमीन बढ़ते प्रदूषण के चलते बंजर होती जा रही है। चुनार की सीमेंट फैक्ट्री के आसपास के दजर्न भर गांव में किसानों साढ़े चार हजर एकड़ जमीन की फसल बर्बाद हो चुकी है। इन गांवों में बड़े गांव, डुलडुमा, तिरऊलीपुर, बकियाबाद, सोनऊरगंज, जमुहार, नुआंव, मडर्ठपर, छिलहिया, जरहा, चौकिया, मीरपुर जमुई जसे गांव शामिल हैं। इन गांवों के किसानों के खेतों में सीमेंट जम गई है जिसके चलते वे बुआई तक नहीं कर पाए। दूसरी तरफ अब सीमेंट फैक्ट्री में पावर प्लांट भी लगा दिया गया है जिसके चलते पानी का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। इस वजह से जमुहार गांव के आसपास के कुंए और हैंडपंप का पानी खत्म होता जा रहा हैं।

जन संघर्ष मोर्चा ने इन सभी गांवों का दौराकर हालात का जयज लिया और एक रपट जरी की। जिसके मुताबिक किसानों की सौ एकड़ से ज्यादा जमीन प्रदूषण के चलते बर्बाद हो चुकी है। जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा, ‘सरकार के संरक्षण के चलते जेपी की सीमेंट फैक्ट्रियां पर्यावरण के तय मानदंडों का उल्लंघन करते हुए किसानों की जमीन को बंजर बना रही हैं। जब किसान इसका विरोध करते हैं तो उनका दमन करते हुए गैंगस्टर एक्ट लगा दिया जाता है।’

चुनार की सीमेंट फैक्ट्री के आसपास जिन गांवों पर प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर पड़ा है, उसका अध्ययन करने के लिए जन संघर्ष मोर्चा की एक टीम मौके पर गई। इस टीम ने बताया कि चुनार की सीमेंट फैक्ट्री के चलते चार हजर एकड़ की उपजऊ कृषि भूमि बंजर हो गई है। अरहर, मटर, मूंगफली और धान जसी फसलें बर्बाद होती ज रही हैं। अरहर, मटर की फसल में फूल आने के साथ ही उन पर सीमेंट और राख जम जाती है जिसके बाद वे पूरी तरह खराब हो जाती हैं। इसी तरह धान की फसल में भी धान के पौधों और खेत में सीमेंट की परत जम जाती है। यह सब पर्यावरण के तय मानदंडों की अनदेखी के चलते हुआ है। यही नहीं अब तो वहां पावर प्लांट लगा दिया गया है जिसके लिए वे पास के गांव से अंधाधुंध पानी खींच रहे हैं। नतीजतन आसपास के इलाके में कुंए का पानी खत्म होता जा रहा है और हैंडपंप भी पानी छोड़ चुके हैं।

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