सामाजिक अंकेक्षण ने खोली भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की राह

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में सिलसिलेवार सामाजिक अंकेक्षण से नरेगा के कामों में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। सामाजिक अंकेक्षण की एक परिणति कई सरकारी अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने में हुई है । सामाजिक अंकेक्षण से नरेगा के अंतर्गत काम करने वाले मजदूरों को करोड़ों रुपये की बकाया मजदूरी का भुगतान भी हासिल हो सका है।(देखें कृपया नीचे दी हुई लिंक)।नरेगा के काम में हो रही अनियमितताओं में शामिल है-घटिया दर्जे की सामग्री का इस्तेमाल, जॉब कार्ड या डाकघर पासबुक का न जारी किया जाना और पंजियों में दर्ज आंकड़ों में हेराफेरी।

गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने मजदूर किसान शक्ति संगठन, नेशनस कंपेन फॉर पीपलस् राइट टू इन्फारमेशन और कई अन्य नागरिक संगठनों के सहयोग से अक्तूबर की पहली तारीख से १२ तारीख तक भीलवाड़ा जिले के ११ प्रखंड़ो में सामाजिक अंकेक्षण का आयोजन किया था। ग्राम-पंचायतों का चयन पर्ची निकालकर किया गया था।भीलवाड़ा केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री सी पी जोशी का निर्वाचन क्षेत्र भी है। सी पी जोशी ने सामाजिक अंकेक्षण के समापन के दिन आयोजन में शिरकत की। सामाजिक अंकेक्षण का काम भीलवाड़ा जिले के ११ प्रखंडों के ३८१ ग्राम पंचायतों में हुआ।.
 
सामाजिक अंकेक्षण में सरकार द्वारा चयनित १००० जिला और प्रखंड प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त पूरे राजस्थान और १३ अन्य राज्यों से आये जन संगठनों के प्रतिनिधियों की भी इस आयोजन में भागीदारी रही। अब तक सिर्फ दो राज्यों-आंध्रप्रदेश और राजस्थान ने ही नरेगा के काम में जवाबदारी तय करने के उद्देश्य से सामाजिक अंकेक्षण के लिए निदेशालय की स्थापना की है।सामाजिक अंकेक्षण के निदेशालय की जिलास्तरीय समितियां बनायी गई हैं। इसमें सरकार, स्वयंसेवी संगठन और स्थानीय समूहों के प्रतिनिधि रखे गये हैं। उनका काम लाभार्थियों को सूचना देना, भ्रष्ट लोगों पर निगाह रखना और वायदे के अनुरुप नरेगा के काम करवाना है।
 
भीलवाड़ा जिले की समाहर्ता मंजु राजपाल ने सामाजिक अंकेक्षण के लिए प्रशासकों और नीति निर्माताओं(मसलन विभिन्न जिलों के सीईओ) को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।अप्रैल २००६ में डुंगरपुर जिले में जब सामाजिक अंकेक्षण का काम हुआ था तब मंजु राजपाल के अभूतपूर्व साहस की अखबारों में सुर्खियां बनी थीं।
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साल २००८-०९ में नरेगा के काम के लिए राजस्थान को ७००० करोड़ रुपये का आबंटन हुआ। इस रकम में से भीलवाड़ा जिले को नरेगा के मद में ३२० करोड़ रुपये हासिल हुए। साल २००९-१० में राज्य को नरेगा के अन्तर्गत आबंटित राशि बढ़ाकर १०,००० करोड़ रुपये कर दी गई। रकम जब इतनी बड़ी हो तो यह देखना लाजिमी हो जाता है कि इस रकम का इस्तेमाल योजना को जमीन पर उतारने में किस तरह किया जा रहा है और नरेगा के अंतर्गत लोगों को कहां तक रोजगार हासिल हो सका है।
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भीलवाड़ी सोशल ऑडिट में रिपोर्टों को नरेगा के लक्ष्य-समुदाय से व्यापक बातचीत के आदार पर तैयार किया गया।इस बात की भी तहकीकात की गई कि नरेगा के अन्तर्गत जल-संरक्षण परियोजना पर काम समुचित तरीके से हो रहा है या नहीं। अंकेक्षण का एक लक्ष्य यह भी जानना था किनरेगा के अन्तर्गत काम गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों और दलित-आदिवासियों की मिल्कियत वाली जमीन पर हो रहा है या नहीं।

भीलवाड़ा सामाजिक अंकेक्षण की कुछ खास बातें नीचे लिखी जा रही हैं-

 साल 2005 में नरेगा का कानून लागू किया गया था। इसके बाद से अबतक का यह अनूठा सामाजिक अंकेक्षण था। अंकेक्षण का आयोजन राजस्थान सरकार ने एमकेएसएस सहित कई नागरिक संगठनों के सक्रिय सहयोग से किया और आयोजन में तकरीबन 2000 लोगों ने शिरकत की ।

 अंकेक्षण के लिए 15-15 सदस्यों की 135 टोलियां बनायी गईं।सदस्यों को अंकेक्षण के बारे में 1-3 अक्तूबर तक भीलवाड़ा में व्यापक पैमाने पर प्रशिक्षण दिया गया।गांधी जयंती के दिन टोली के सदस्यों ने नरेगा कार्यस्थलों पर जाकर आधे दिन का श्रमदान करके संबंधित कामों का प्राथमिक अनुभव हासिल किया।एक्सन एड की राजस्थान शाखा के सहयोग से 6 राज्यों के 20 शारीरिक रुप से विकलांगता के शिकार लोगों की एक टोली बनायी गई। इस टोली ने भी श्रमदान में सक्रिय भागीदारी की।

5-8 अक्तूबर तक अंकेक्षण के लिए बनायी गई टोलियों ने 1600 गांवों के दायरे में 381 ग्राम पंचायतों का भ्रमण किया।इस समूची यात्रा में नरेगा के 900 कार्यस्थलों पर अंकेक्षण टोलियां पहुंची।9 अक्तूबर के दिन 135 टोलियों के सदस्य सामाजिक अंकेक्षण के काम के लिए चिह्नित 11 विशेष ग्राम पंचायतों पर जुटे।पदयात्रा पर निकले सभी सदस्यों ने इस बात का ध्यान रखा कि भ्रमण के दौरान किसी पंचायत प्रतिनिधि से भोजन या रात्रि-विश्राम की सहूलियत हासिल ना की जाय।
 
पदयात्रा पर गई टोली के सदस्य साधारण ग्रामीण घरों में ठहरे और साधारण ग्रामीण परिवारों से हासिल भोजन ही ग्रहण किया ।

अंकेक्षण के काम से नरेगा के काम में लगे मजदूरों के बकाया भुगतान को चुकता करवाने में मदद मिली। बकायी भुगतान के आंकड़े हमारे वेबसाईट के अंग्रेजी संस्करण में मौजूद हैं।अंकेक्षण के काम से कई अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ।दोषी अधिकारियों और जन-प्रतिनिधियों पर इसके लिए एफआईआर दर्ज करवाई गई। (इसकी ब्यौरे के लिए देखें हमारा अंग्रेजी संस्करण)

9 अक्तूबर के दिन तस्वरिया ग्राम पंचायत के सामाजिक अंकेक्षण के वक्त आईएमफॉरचेंज की टोली भी मौजूद थी।सामाजिक अंकेक्षण की एक झलक इस टोली की नजर में-

तस्वारिया के सरपंच हरदेव जाट इलाके के विधायक और सूबे के मंत्री रामलाल जाट के रिश्तेदार हैं। हरदेव जाट ने नरेगा के काम में जेसीबी मशीन की इस्तेमाल किया जबकि नरेगा में इसकी अनुमति नहीं है क्योंकि इससे हाथ से काम करने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आती है।सामाजिक अंकेक्षण का काम जिस दिन शुरु हुआ उस दिन से नरेगा के सारे काम जान बूझकर रोक दिए गए। यह पता चला कि सरपंच लोकनिर्माण विभाग के लिए ठेके पर सड़क निर्माँण का काम करवाते हैं।

यह भी पता चला कि इलाके के लिए फंड बहुत पहले से मौजूद था लेकिन ग्राम पंचायत में नरेगा का काम देर से आरंभ हुआ।

निर्माण कार्य में इस्तेमाल की गई सामग्री अनेक कार्यस्थलों पर घटिया किस्म की पायी गई।

नरेगा के काम करवाये गए लेकिन नरेगा में वर्णित प्रावधानों का खास पालन नहीं हुआ।

size="3">सामाजिकअंकेक्षण दल की अगुवाई कर रहे बीआरपी बाबूलाल ने बताया कि नरेगा के अन्तर्गत काम करने वाले मजदूरों को जॉब कार्ड जारी नहीं किए गए।

सूबे में जातिगत पूर्वग्रह कितने गहरे हैं इसका पता इस बाच से चलता है कि अगर नरेगा के कार्यस्थल पर कोई सवर्ण मजदूर काम कर रहा है और उसे पानी पीना है तो वह अमूमन अनुसूचित जाति या जनजाति के मजदूर के हाथ का छुआ पानी पीने से परहेज करता है।

नरेगा से संबंधित अनियमितताओं और सामाजिक अंकेक्षण पर विस्तृत जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक्स देखें-

 

http://nrega.nic.in/writereaddata/citizen_out/Dist_MPR_emp_reg_2724_0809.html


http://aidindia.org/main/content/view/1094/1/


http://www.thesouthasian.org/archives/2009/social_audit_in_rajasthan_unde.html


http://business.rediff.com/column/2009/oct/05/guest-how-a-social-audit-makes-people-accountable.htm


http://timesofindia.indiatimes.com/city/jaipur/12-FIRs-in-Bhilwara-after-social-audit-of-NREGS/articleshow/5113274.cms


http://beta.thehindu.com/news/states/other-states/article31998.ece#


http://www.cainindia.org/news/10_2009/audit_of_national_rural_employment_guarantee_scheme_.html


http://www.asianage.com/presentation/leftnavigation/news/india/nregs-audit-a-relief-to-poverty-stricken.aspx

 

 

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