18 साल से बिजली को तरसता स्कूल

इंदौर. भरोसा करना मुश्किल है लेकिन हकीकत यही है कि इंदौर जैसे महानगर का एक सरकारी स्कूल 18 साल से बिजली को तरस रहा है। वहां पंखा है, ट्यूब लाइट है लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं है। और इससे भी बड़ी बात यह कि कनेक्शन के लिए जो एप्लीकेशन बिजली विभाग को देना है वह इतने समय से शिक्षा विभाग में ही घूम रही है। ऐसा क्यों है इसका माकूल जवाब किसी के पास नहीं है।

मामला स्कीम-78 के शासकीय उन्नत माध्यमिक स्कूल का है। आईडीए की योजना में बने इस स्कूल में सुबह प्राथमिक व दोपहर में माध्यमिक स्तर की कक्षाएं लगती हैं। शून्य बजट के इस स्कूल को छह महीने पहले सिर्फ इसलिए उन्नत का तमगा दिया गया क्योंकि एक अन्य उन्नत स्कूल बंद हो चुका था। स्कूल के मुताबिक 1991 में इस भवन का निर्माण हुआ था।

साल २क्क्४ में निगम ने बिजली उपकरण और पंखे लगवाए, तब भी किसी ने कनेक्शन लेने की सुध नहीं ली। भवन में नौ शिक्षण और दो कार्यालयीन कक्ष हैं। साढ़े सात सौ से ज्यादा छात्रों के लिए यहां मात्र 13 शिक्षक हैं। मामले में प्रभारी संकुल प्राचार्य का कहना है उन्होंने कुछ दिन पहले ही चार्ज लिया इसलिए जानकारी नहीं है। मामले में जिला परियोजना समन्वयक डॉ. अवनीश दीक्षित से चर्चा करने की कोशिश की गई, लेकिन वे अवकाश पर थे।

अब तक क्यों नहीं देखा अधिकारियों ने?
स्कूल शिक्षा विभाग में प्रत्येक जनशिक्षक को उसके अधीनस्थ स्कूलों में प्रतिमाह दो निरीक्षण करना होते हैं। इसके अलावा विकासखंड शिक्षाधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और संयुक्त संचालक भी समय-समय पर आकस्मिक निरीक्षण करते हैं। बावजूद इसके स्कूल की सुध किसी ने नहीं ली।

हो चुकी है कार्रवाई

तीस नंबर स्कूल में आज तक बिजली कनेक्शन नहीं है?
– संबंधित जनशिक्षा केंद्र की कई जानकारियां विभाग को नही मिल पाती थीं। इसीलिए वहां के जनशिक्षक को हटा दिया गया है। कनेक्शन क्यों नहीं हुआ, पता करता हूं।

आप जनशिक्षकों से निरीक्षण रिपोर्ट तो लेते होंगे?
लंबे समय से नहीं मिली। अब नए सिरे से उनके कार्य और क्षेत्रों का वितरण किया जा रहा है। कलेक्टर के माध्यम से उन पर कार्रवाई हो चुकी है।

बिजली कनेक्शन के लिए क्या प्रावधान है?
– शाला विकास मद या अन्य खर्च से कनेक्शन लिया जा सकता है। पालक-शिक्षक संघ इस पर सहमति से निर्णय लेकर कनेक्शन ले सकता है।

अब क्या कार्रवाई करेंगे
मैं संबंधित जनशिक्षा केंद्र से जानकारी लेकर उनके खाते में कितनी राशि है यह देखूंगा। उसके बाद ही कनेक्शन लेने के लिए कहा जाएगा।
– जी.पी. अग्निहोत्री, बीआरसी

बिजली न होने से परेशानी

अंधेरा होने से कई बार कक्षाएं परिसर से बाहर लगाना पड़ती हैं।
हेडस्टार्ट योजना का लाभ नहीं। कम्प्यूटर शिक्षा से वंचित।
गर्मी के मौसम में बच्चे होते हैं हलाकान स्कूल में सार्वजनिक आयोजन नहीं हो सकता।

यहां हर कोई अंधेरे में

मैं प्रभारी हूं इसलिए ज्यादा नहीं जानती। पूर्व प्रभारी प्रधानाध्यापक ने इसके लिए प्रयास किए थे। उन्हें ही इस मामले की जानकारी है।
अंजलि बड़ोले, प्रभारी प्रधानाध्यापक

मैं रिटायर हो गया हूं। मेरी नियुक्ति भी प्रभारी हेडमास्टर के रूप में हुई थी। स्थायी हेडमास्टर नहीं होने से ज्यादा कुछ नहीं कर सका। विभाग को इसकी जानकारी है।
– महेशकुमार श्रोत्रिय, पूर्व प्रधानाध्यापक

स्कूलों में इस तरह के कार्र्यो के लिए जिला शिक्षा केंद्र के माध्यम से राशि दी जाती है। डीपीसी (जिला परियोजना समन्वयक) ही इस संबंध में बता पाएंगे।
– माया मालवीय, जिला शिक्षाधिकारी

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