नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हजारों भूमि मालिकों के हितों के लिहाज से लाभदायक आदेश में व्यवस्था दी है कि सरकार उन्हें महज यह कहकर कम मुआवजा नहीं दे सकती कि अधिगृहीत की जा रही जमीन के विकास की कोई संभावना नहीं है।
शीर्ष कोर्ट ने यह फैसला गोवा सरकार की अपील खारिज करते हुए दिया। इस अपील में राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पांडा बाई-पास रोड बनाने के लिए कर्टी गांव की जमीन का मुआवजा बढ़ाकर 200 रुपए प्रति वर्ग मीटर कर दिया था।
जस्टिस आरवी रवींद्रन तथा बी सुदर्शन रेड्डी ने कहा, ‘हाईवे से जुड़ी जमीन की पट्टी को महज इस आधार पर मूल्यहीन या विकास की संभावनाओं से रहित नहीं माना जा सकता कि हाईवे से संबंधित कानून उसके ठीक मध्य से 40 मीटर दूरी तक दोनों ओर निर्माण कार्य का निषेध करता है।’
मामला क्या था?: मौजूदा मामले में राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत 7 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा तय किया गया था। इसे एक अदालत के दखल के बाद बढ़ाकर 154 रुपए वर्गमीटर कर दिया गया। हाईकोर्ट ने यह रकम बढ़ाकर 200 रुपए की थी। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने शीर्ष कोर्ट में अपील की थी।