अब सुल्तानपुरी केले की मचेगी धूम

सुल्तानपुर। केले का नाम आते ही महाराष्ट्र के भुसावल जिले का नाम बरबस सामने आ जाता है। अब सुल्तानपुर इससे होड़ लेने की तैयारी कर रहा है। इस जिले को केला उत्पादक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना है। कृषि विविधिकरण व उद्यानीकरण योजना के तहत करीब 225 एकड़ जमीन में केले के पौधरोपण को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस योजना से तकरीबन 400 किसान लाभान्वित होंगे।

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले वर्ष नवरात्र के मौके पर बाजार में सुल्तानपुरी केले की भी धूम रहेगी। यही नहीं इसकी लंबाई व चमक-दमक भी भुसावल के मुकाबले ज्यादा होगी। कृषि विविधिकरण परियोजना [डास्प] के तहत अब तक दो सौ किसानों को केले की खेती के लिए प्रेरित कर प्रशिक्षित किया जा चुका है। उनके खेतों में पौधे भी रोपे जा चुके हैं। उद्यानीकरण योजना के तहत लगभग दो सौ और किसानों को प्रशिक्षित कर पौधरोपण की तैयारी चल रही है।

जिले के लंभुआ, कादीपुर, जयसिंहपुर, दूबेपुर, भदैया, अखंडनगर, कूरेभार, धनपतगंज, संग्रामपुर, भेंटुआ, भादर, अमेठी, जगदीशपुर क्षेत्र में पहली बार ऐसा प्रयोग किया गया है। डास्प समन्वयक डा. वीके सिंह बताते हैं कि प्रत्येक किसान को प्रदर्शन के लिए इस बार टिश्यू कल्चर से विकसित 740 पौधे दिए जा रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से ग्रैंडनैन-9 प्रजाति शामिल है। यह प्रजाति यहा की जलवायु व मिट्टी के अनुकूल है। आधुनिक वैज्ञानिक विधि अपनाकर किसान इस प्रजाति से दो साल में तीन फसल ले सकते हैं। दस माह में बाजार में बिक्री योग्य फल तैयार हो जाते हैं। इससे किसानों को डेढ़ से दो लाख रुपये प्रतिवर्ष की आमदनी हो सकती है।

डास्प जिलास्तर पर उत्पादक समूह बनाकर बाजार उपलब्ध कराने की योजना भी तैयार कर रहा है।

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