बंगाल फिर अधिग्रहण की राह

कोलकाता के बाहरी इलाके में वैदिक विलेज स्पा एवं रेस्तरां के लिए निजी क्षेत्र की ओर से जमीन अधिग्रहण में कथित रूप से घोटाला होने और इस मामले में राज्य सरकार की हुई किरकिरी के बाद पश्चिम बंगाल में एक बार फिर निजी परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण की नई पहल की गई है।

यह पहल जमीन अधिग्रहण के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर हुई उस राजनैतिक आम सहमति के बाद की गई है जिसमें विक्रेताओं को जमीन के बदले जमीन देने की पेशकश की जानी है। नई नीति फिलहाल दो महीने के लिए है जिस दौरान निजी क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए सरकार की ओर से जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।

नई घोषणा के तहत पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआईडीसी) बर्धमान जिले के पानागढ़ में औद्योगिक पार्क स्थापित करने के लिए 4,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करेगा। इसमें से 1,500 एकड़ जमीन भारत फोर्ज की कंपनी कल्याणी स्टील की 20 लाख टन क्षमता वाली प्रस्तावित पार्क की प्रमुख परियोजना के लिए होगी।

पश्चिम बंगाल के व्यापार एवं उद्योग मंत्री निरूपम सेन ने बताया कि प्रस्तावित परियोजना के पहले चरण के तहत 450 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। पश्चिम बंगाल की बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार की ओर से की गई यह नई पहल पहले की गई घोषणाओं से बिलकुल उलट है।

निजी कंपनियों की परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण के मसले पर सरकार की पहले काफी आलोचना हो चुकी है। इस मसले के प्रमुख मुद्दा बन जाने की वजह से इसी वर्ष मई में हुए लोकसभा चुनावों में चार वामपंथी पार्टियों के गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा था। तब बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार ने कहा था कि अति संवेदनशीलता की वजह से वह निजी कंपनियों के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं करेगी।

लोकसभा चुनावों में हुई हार की मुख्य वजह नंदीग्राम में रासायनिक केंद्र बनाने और सिंगुर में टाटा मोटर्स की छोटी कार वाली नैनो जैसी निजी क्षेत्र की परियोजनाएं रहीं। विपक्ष और किसानों की ओर से इनके लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किए गए जोरदार विरोध प्रदर्शनों की वजह से ये परियोजनाएं वापस ले ली गईं थीं।

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