करनाल. धान की फसल उगाने वाले किसानों के लिए फंगस सबसे बड़ी दिक्कत है। इससे किसानों को भारी नुकसान भी होता है, क्योंकि यदि एक बार फंगस धान को अपनी चपेट में ले ले तो उसे खत्म करने के लिए सैकड़ों रुपए खर्च कर पेस्टीसाइड और दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी होता है।
किसानों को भविष्य में इस तरह की दिक्कत न हो इसके लिए वैज्ञानिकों ने फंगस प्रूफ धान की वेरायटी इजाद की है। आईएआरआई नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने पूसा की इंप्रूवड बासमती-1460 इजाद की है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वेरायटी के पास फंगस नहीं आता। इससे किसानों को लाभ मिलेगा। इस वेरायटी को अब आईएआरआई के क्षेत्रीय स्टेशन भी पैदा करेंगे ताकि किसानों तक इस वेरायटी को पहुंचाया जा सके।
उत्पादन चार टन प्रति हेक्टेयर
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वेरायटी को लगाने से करीब चार टन प्रति हेक्टेयर फसल प्राप्त होगी और यह वेरायटी करीब 135 दिन में तैयार हो जाएगी।
हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब को मिलेगी राहत
वैज्ञानिकों के अनुसार फंगस की दिक्कत हरियाणा सहित पंजाब और यूपी के किसानों को रहती है। गत दो वर्ष से इन इलाकों में फंगस का प्रभाव देखने को मिला है। इससे किसानों की फसल को नुकसान होने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी होता है।
किसानों की इस तरह की दिक्कत को देखते हुए वैज्ञानिकों ने मोलिक्यूलर मार्कर की सहायता से पूसा धान की वेरायटी को इंप्रूवड किया और 1460 को इजाद किया। इस वेरायटी को फंगस प्रूफ करने के लिए इसे बेक्टीरियल लीफ ब्लाइट किया गया है।
वेरायटी को इजाद कर चेक कर लिया गया है। किसान इस वेरायटी को लगाकर फंगस से निजात पा सकता है। आईएआरआई के क्षेत्रीय स्टेशन में भी इसके बीज पैदा किए जाएंगे। – प्रो. केआर कोंडल, संयुक्त निदेशक (रिसर्च) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली