खूंटी छोड़ सकता है मित्तल

जमशेदपुर : दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी आर्सेलर मित्तल भूमि अधिग्रहण में आ रही दिक्कतों और विरोध के कारण झारखंड में प्रस्तावित संयंत्र के परियोजना स्थल को बदलने पर विचार कर रही है. राज्य के उद्योग सचिव एनएन सिन्हा ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मित्तल समूह भूमि अधिग्रहण में आ रही दिक्कतों व विरोध के कारण अपनी परियोजना को खूंटी से अन्यत्र ले जाने पर विचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि समूह अब अन्य विकल्पों के साथ संयंत्र निर्माण के लिए गुमला जिले में भूमि अधिग्रहण की संभावनाएं तलाश रहा है. उन्होंने कहा : यह उनकी समस्या है. इसे उन्हें ही सुलझाना होगा. कंपनी के प्रमुख लक्ष्मी निवास मित्तल ने करीब 40,000 करोड़ रुपये की लागत से 12 मिलियन टन (1.20 करोड़ टन) सालाना क्षमतावाले इस संयंत्र को झारखंड में लगाने के लिए अक्तूबर 2005 में राज्य सरकार से समझौता किया था. समझा जाता है कि दो चरणों में लगनेवाले इस संयंत्र के लिए कम से कम 12000  एकड़ भूमि की आवश्यकता है. इसके लिए समूह ने खूंटी जिले के रनिया और तोरपा में जमीन चि:ित भी की थी. खूंटी जिले में संयंत्र की स्थापना को लगभग तय माना जा रहा था. लेकिन वहां भूमि अधिग्रहण का कुछ स्थानीय संगठनों और राजनीतिक दलों ने जबरदस्त विरोध किया है.

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