उदयपुर : खैरवाड़ा तहसील में कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जहां पोषाहार बनाने वाला रसोइयां बच्चों को पढ़ा रहा है। संस्थाप्रधानों का कहना है कि स्टाफ नहीं होने से ये हालात पैदा हो रहे हैं।
बीकानेर : मोमासर स्कूल सुबह सात बजे लगी और नौ बजे छुट्टी हो गई। पूछने पर पता चला कि स्कूल में मास्टरजी ही नहीं है तो पढ़ाएगा कौन। यह रोज की बात है। यहां केवल तीन अध्यापक ही हैं और छात्र हैं 350।
जयपुर : राजकीय प्राथमिक स्कूल आरकी ढाणी, जमवारामगढ़ में मात्र एक शिक्षक के भरोसे 70 बच्चे हैं। शिक्षक छुट्टी पर हुए तो भारी परेशानी। इसी तरह भीलवाड़ा की जोधामंडल खेड़ा स्कूल में पांच कक्षाएं हैं और टीचर एक।
यह हालात हैं राजकीय प्राथमिक विद्यालय जोधा मंडल का खेड़ा, आजादनगर का। मिड-डे मील लेने के बाद शिक्षिका कैलाश श्रोत्रिय पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को एक ही कक्षा कक्ष में बैठाकर पढ़ा रही थी। आवश्यक काम से छुट्टी लेने पर विद्यार्थियों को पास ही एक स्कूल मंे पढ़ने के लिए भेजना पड़ता है। राज्य के अधिकांश इलाकों में इन दिनों लगभग एक सी स्थिति। ये हालात पिछले एक सप्ताह के दौरान भास्कर संवाददाताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में स्थित सरकारी स्कूलों में देखे।
इसी क्षेत्र के रामपुरिया रामावि में दसवीं और पांचवी के विद्यार्थियों की पढ़ाई एक साथ करवाई जाती है। कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थी सम्मिलित रूप से पेड़ के नीचे बैठते हैं और कक्षा 10 के छात्र और कक्षा 5 के विद्यार्थी भी एक साथ बैठे थे। शिक्षक राजूराम जाट कार्यालय में तथा प्रबोधक हंसा तिवाड़ी स्कूल में नहीं थी। शिक्षक जाट से इस स्थिति के बारे में पूछा गया तो जवाब आया बच्चों को कक्षा के अनुसार बिठाया जाए तो उनका पढ़ाएगा कौन, इसलिए सभी को एक साथ बैठा दिया।