अच्छी बारिश से बढ़ सकता है चीनी उत्पादन

केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि देरी से आए मानसूनी बारिश के दौर से देश में गन्ने की फसल को फायदा होने की संभावना है। इससे चीनी उत्पादन पिछले अनुमान से 10 फीसदी बढ़ सकता है। एक अक्टूबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष में सरकार ने 160 से 170 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान पहले लगाया था। उत्पादन में बढ़ोतरी से चीनी आयात की जरूरत थोड़ी कम होगी। मालूम हो कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उपभोक्ता है और देश में चीनी की सालाना मांग करीब 220 से 230 लाख टन रहती है। वर्ष 2009 में उत्पादन घटकर 150 लाख टन रह जाने के कारण इस वर्ष बड़ी मात्रा में चीनी आयात करनी पड़ रही है। सितंबर 2008 में समाप्त हुए वाले विपणन वर्ष में चीनी का 263 लाख टन हुआ था। पवार ने एक साक्षात्कार में बताया कि बारिश अच्छी होने से गन्ने की फसल में सुधार हुआ है।

उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की पैदावार बढ़ने की पूरी संभावना है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य हैं। सीजन के शुरू में मानसूनी बारिश कमजोर रही लेकिन अगस्त मध्य तक इसने जोर पकड़ा जिससे किसानों को काफी राहत मिली। फिरभी इस वर्ष देश में बारिश सामान्य से 21 फीसदी कम है। गर्मी के सीजन के गन्ने के लिए मानसूनी बारिश काफी महत्वपूर्ण होती है।

गन्ने का एसएमपी 250 रुपये हो : नाफा
नई दिल्ली। एक अक्टूबर से शुरू होने वाले पेराई सीजन के लिए गन्ने के वैधानिक न्यूनतम मूल्य (एसएमपी) को बढ़ाकर 250 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की गई है। नेशनल एलायंस आफ फारमर्स एसोसिएशन (नाफा) के सचिव अनिल सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि 2005-06 से 2008-09 के दौरान केंद्र ने गेहूं और धान के मुकाबले गन्ने के एसएमपी में नाममात्र की बढ़ोतरी की। किसान जागृति मंच के अध्यक्ष प्रो. सुधीर पंवार ने बताया कि गन्ने की बुवाई घटने के कारण ही हमें महंगे दामों पर विदेशों से चीनी का आयात करना पड़ रहा है। (ब्यूरो)

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